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''निशा:-a dream of power''

निशा की उम्र अभी दो वर्ष ही थी,की उसके जीवन में एक बड़ा तुफान आ चुका था जिसका शायद उसे अंदेशा भी नहीं था होता भी कैसे अभी वह छोटी ही तो थी उसके पिता उसके जन्म लेने के एक महिने बाद ही पता नहीं कहा चले गये थे सभी पूछने पर भी उसकी माँ ने किसी को कुछ नहीं बताया पर फिर भी उन्होने दिखा दिया था की एक स्त्री क्या कर सकती है उन्होने अकेले ही निशा की परवरिश की पर भाग्य के लेख में कुछ और ही लिखा था  साल भर से निशा की मां की तबीयत खराब रहने लगी थी पर फिर भी उन्होंने इसका असर उस पर नहीं होने दिया और उसे भरपूर प्यार दिया पर वह कब तक अपनी मृत्यु को रोक पाती लेकिन फिर भी उन्हें इसका कोई गम नहीं था उनके आखिरी लम्हों में भी उनके चेहरे पर एक मुस्कान थी शायद इस मुस्कान का उत्तर सभी को मिलने वाला था उनके गुजर जाने के  कुछ महीने बाद निशा के पिता वापस आ गए थे और निशा को देखकर उनकी आंखों में आंसू नहीं खुशी थी यह सब  कुछ ऐसा था जैसे  उन्हें पहले से ही सब कुछ पता था। किंतु फिर भी जो कुछ महीनों की देरी उनके  उनकी बेटी के पास आने में हुई थी उन्हें क्या पता था उस देरी में कुछ अपने ही फुल सी मासूम बच्ची के मन में विष भरे कांटी चुभो रहे थे परंतु फिर भी वह उचित समय पर उसके पास पहुंच गए इससे पहले की कुछ देरी हो जाती और इस बच्ची के मन पर कुछ ऐसे घाव छूट जाते शायद जिनकी भरपाई करना बहुत ही मुश्किल होता, निशा के पिता निशा को अपने साथ ही ले गए पर ले जाने से पहले उन्होंने सारी जमीन जाय्जात निशा के ननिहाल वालो के नाम कर दी,लगाता था कि वह उस जगह दोबारा नही आना चाहते थे समय बितता गया निशा के पिता ने निशा को बहुत प्यार दिया जब वह पांच साल की थी तो उन्होने अपनी मुह बोली बहन श्वेता को अपने पास बुला लिया  1 माह पहले ही के पति की मृत्यु एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी उनकी कोई संतान नहीं थी इसलिए भी शायद निशा के पिता ने से अपने यहां बुला लिया बहुत ही कम समय में दोनों एक दूसरे के साथ अच्छे से घुल मिल गए।श्वेता जी और निशा के बीच एक बहुत ही प्यार सा संबंध बन गया था निशा अपनी हर बात बुआ से साझा करती थी दोनो एक मित्र की तरह रहती थी जब निशा पहली बार विद्यालय गयी थी तब वो रोई नही ज्यादातर बच्चे रो रहे थे क्योंकि उसकी बुआ और पिता ने उसे अच्छी परवरिश दी थी और विद्यालय के बारे में सकारात्मक बाते बताई और सिखायी थी और बताया था कि विद्यालय में नए-नए मित्र बनते है नई-नई बाते सिखाई जाती है बताई जाती है जिससे तुम अपने जीवन मे आने वाली कठिनाईयो को आसान बना सकते हो,पहले दिन निशा की एक मित्र बानी जिसका नाम था सपना दोनो में गहरी मित्रता हो गई ,निशा अब बारह वर्ष की हो गयी थी और वह कक्षा आठवी मैं पहुच गयी थी अब दोनों एक दूसरे के पक्के दोस्त थे दोनो ही पढने में अव्वल थे विद्यालयी शिक्षा के साथ-साथ निशा के पिता ने निशा को आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मरक्षा कला की शिक्षा देनी भी प्रारंभ की पहले निशा को यह सब समझ नही आया परंतु इस प्रश्न का उत्तर भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ था यह बात उस दिन की है जब निशा की सहेली सपना का जन्मदिन था निशा ने अपने पिता से अनुमती मांग ली थी इसलिये वह स्कूल से सीधे सपना के घर चली गयी वह अपने कपडे साथ ही लायी थी तो उसने सपना के कमरे में कपडे बदले और फिर यही करीबन सात आठ बजे पार्टी शुरु हूई, करीब करीब नो दस बजे सब खत्म हुआ और सब जाने लगे उस रात निशा को सपना ने रुकने को कहा क्योंकि रात बहुत हो गयी थी और उसका घर भी बहुत दूर था तो फिर निशा ने भी अपने पिता से संपर्क कर रहने की अनुमती प्राप्त की लेकिन उन्हे क्या पता था की यह अनुमती निशा को अपने आप से रुबरु करा देगी,,,,,,,  

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3 Comments

Arman

27-Nov-2021 12:05 AM

Behtreen

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Zeba Islam

21-Nov-2021 06:05 PM

Sundar

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Author sid

25-Jun-2021 09:11 AM

बहुत अच्छी कहानी , क्या इसका नेक्स्ट पार्ट आएगा सर

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